आपने किसी समझदार इंसान के मुंह से सुना होगा कि जिस बात को अंजाम तक ले जाना मुमकिन न हो, उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ दो! निर्माता महेश भट्ट की ‘जलेबी’ भी एक ऐसी ही लवस्टोरी है, जो प्यार के सफर पर एक अलग अंजाम तक पहुंचती है। फिल्म की शुरुआत में एक तलाकशुदा राइटर आयशा (
जलेबी 2016 में आई बांग्ला फिल्म ‘प्रकटन’ की रीमेक है, जिसका मतलब पिछला है। इस फिल्म में डायरेक्टर पुष्पदीप भारद्वाज ने एक लवस्टोरी के माध्यम से लव ऐट फर्स्ट साइट में यकीन करने वाली युवा पीढ़ी को एक संदेश भी दिया है कि न तो पिंजरे का पंछी आसमान में उड़ पाता है और न ही आसमान का पंछी पिंजरे में रह पाता है! ‘जलेबी’ के सुबह के शो में भले ही लड़के-लड़कियां इसके हॉट पोस्टर को देखकर पहुंचे थे, लेकिन डायरेक्टर ने उन्हें बेहद खूबसूरती से जिंदगी के एक अलग मायने भी समझा दिए कि उनसे मोहब्बत कमाल की होती है, जिनका मिलना किस्मत में नहीं होता!
अपनी पहली ही फिल्म में
फिल्म के संवाद भी अच्छे बन पड़े हैं। मसलन एक सीन में लड़का कहता है कि ये तंग गलियां नहीं मेरा घर है। जहां दिल होता है, वहीं घर होता है। अगर मैंने ये फैमिली, ये घर छोड़ दिया, तो मैं तुम्हारा कभी हो ही नहीं पाऊंगा, क्योंकि मैं तब मैं, मैं नहीं रहूंगा! वहीं ट्रेन में इन लोगों के साथ सफर कर रहे नव विवाहित कपल से लेकर एक सिंगर और ओल्ड ऐज कपल तक की कहानी फिल्म में खूबसूरती से पिरोई हुई है, जो आपको जिंदगी की सच्चाइयों से रूबरू कराती हैं। दिल्ली की खूबसूरत लोकेशन भी फिल्म का एक महत्वपूर्ण किरदार है। दो घंटे से भी कम टाइम की फिल्म आपको लगातार बांधे रखती है।फिल्म का तेरे नाम से ही रोशन गाना पहले से ही हिट है। बाकी गाने भी अच्छे बन पड़े हैं।
अगर इस वीकेंड कुछ अलग अंदाज वाली लव स्टोरी देखना चाहते हैं, तो यह फिल्म आपके लिए ही है।
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